sunil kumar sagar

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Tuesday, November 3, 2009

हिन्दी के अब नही रूकगे कदम

आओ प्यारे साथ हमारे ।
हिन्दी को अब विश्व व्याखत बना दे ।।


हिन्दी में है वो जज्बा ।
जान सेवा हित व्यवसाय सवारे ।।

आओ प्यारे साथ हमारे ।
हिन्दी को अब विश्व व्याखत बना दे ।।

हिन्दी का हैं ; अब उच्च लक्ष्य ।

देश विदेश का करेगी उत्थान ॥

ज़न -ज़न के रोम-रोम में फैल गया ।
अब हिन्दी का वरदान॥

आओ प्यारे साथ हमारे ।
हिन्दी को अब विश्व व्याखत बना दे ।।
अब पूरे विश्व में ऐसा न होगा कोई स्थान जहाँ ।
जहाँ हिन्दी का न हो संस्थान ॥

आओ प्यारे साथ हमारे ।

हिन्दी को अब विश्व व्याखत बना दे ।।

उठो हिदी के सच्चे सेवक ।

चौ .चरण सिंह विश्वविद्यालय के ॥
डॉक्टर नवीन चंद लोहानी व हिन्दी विभाग ।
बुला रही हैं ;मात्र भाषा की आवाज़ ॥
कार्य लोक हित तुम पर निर्भर ।
तुम पर निर्भर जान कल्याण ॥
आओ प्यारे साथ हमारे ।
हिन्दी को अब विश्व व्याखत बना दे ।।

3 comments:

  1. bahut badhiya blog or vicharo ke liye swagat hai......!!

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  2. Hindi bahad sureelee bhasha hai...aur vishw me khyati zaroor paye! Aameen!

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