sunil kumar sagar

sunil kumar sagar

Thursday, February 5, 2009

माँ की ममता


तू है जग के जननी माता
तेरे अनेक रूप है माता
यदि घर में प्रवेश करती है माता
तो घर को स्वर्ग बना देती है माता
यदि घर से रूठ जाय तो
घर को श्मशान बना देती माता
माता तेरे आचल की दो बूँद के प्यासे हम
दो बूँद पिलाकर हमारा जीवन अमर कर दो माता
अगर बोलती है तू मधुर वाणी माता
हमें चढ़ जाती बचपन में भी जवानी माता
हमें खिलाती दूध दही
खुद भूखी सो जाती माता
तू है जग कि जननी माता
तेरे अनेक रूप है माता

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