Wednesday, November 4, 2009
Tuesday, November 3, 2009
हिन्दी के अब नही रूकगे कदम
आओ प्यारे साथ हमारे ।
हिन्दी को अब विश्व व्याखत बना दे ।।
हिन्दी में है वो जज्बा ।
जान सेवा हित व्यवसाय सवारे ।।
आओ प्यारे साथ हमारे ।
हिन्दी को अब विश्व व्याखत बना दे ।।
हिन्दी का हैं ; अब उच्च लक्ष्य ।
देश विदेश का करेगी उत्थान ॥
ज़न -ज़न के रोम-रोम में फैल गया ।
अब हिन्दी का वरदान॥
आओ प्यारे साथ हमारे ।
हिन्दी को अब विश्व व्याखत बना दे ।।
हिन्दी में है वो जज्बा ।
जान सेवा हित व्यवसाय सवारे ।।
आओ प्यारे साथ हमारे ।
हिन्दी को अब विश्व व्याखत बना दे ।।
हिन्दी का हैं ; अब उच्च लक्ष्य ।
देश विदेश का करेगी उत्थान ॥
ज़न -ज़न के रोम-रोम में फैल गया ।
अब हिन्दी का वरदान॥
आओ प्यारे साथ हमारे ।
हिन्दी को अब विश्व व्याखत बना दे ।।
अब पूरे विश्व में ऐसा न होगा कोई स्थान जहाँ ।
जहाँ हिन्दी का न हो संस्थान ॥
आओ प्यारे साथ हमारे ।
हिन्दी को अब विश्व व्याखत बना दे ।।
उठो हिदी के सच्चे सेवक ।
चौ .चरण सिंह विश्वविद्यालय के ॥
डॉक्टर नवीन चंद लोहानी व हिन्दी विभाग ।
बुला रही हैं ;मात्र भाषा की आवाज़ ॥
कार्य लोक हित तुम पर निर्भर ।
तुम पर निर्भर जान कल्याण ॥
आओ प्यारे साथ हमारे ।
हिन्दी को अब विश्व व्याखत बना दे ।।
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