किस -किस की बात कहे ।
यहाँ कोई किसी से कम नही |।
सब के आचरण को जंग लगा ।
नैतिक कोष में दम नही |।
जरा गांवो की देखो दशा ।
सभी संस्कृति के प्रतीक बनो |।
प्यार एकता और सुरक्षा ।
सदा सादगी से सजे रहे |
शान्ति धर्म को पथ चुना ;
जन सेवा में लिप्त रहे ।
लगी हैं लू पश्चिम की । ।
संकृति के पौधे सूख गये ।
चली हैं आधी मंहगाई की ।
धैर्य सुमन टूट गये । ।
अब पथ गगन दुर्लब हुआ ।
थक किनारे बैठ गये । ।
चली धूप टी ० वी ० की।
ल्ज्ज़ा वस्त्र उतर गये ॥
समस्या बडी जटिल हैं ।
रास्ता अपना बदल गये ॥
स्वार्थ हिंसा धोका अधर्म ।
पथ पर हमको सब मिले ॥
पर मिला कही धर्म नही ।
किस -किस की बात कहे ।
यहाँ कोई किसी से कम नही |।